"शराब पीने दे मस्जिद मे बैठ कर ,या वो जगह बता जहां खुदा नहीं "
----- गालिब
गालिब ने कहा है की नहीं कहा या किस परिपेक्ष मे कहा इस बात पर डिबेट है , परंतु इस बात पर जो रिप्लाइ हैं बहुत कमाल के है ,
इस बात पर अलमा इकबाल जो काफी धार्मिक व्यक्ति हैं वो लिखते है
मस्जिद खुदा का घर है पीने की जगह नहीं ,
काफिर के दिल मे जा वहाँ खुद नहीं । (काफिर का मतलब जो खुद मे विश्वास नहीं रखता है )
इस पर फराज साहब जो लेफ़्टिस्ट है थोड़ा नाराज हो जाते है और लिखते हैं ,
काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देखकर ,
खुद मौजूद है पर उसे पता नहीं
इस पर पाकिस्तान के मशहूर शायर वाशी शाह साहब लिखते हैं कि
खुदा तो मौजूद है दुनिया मे हर जगह
तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं
सकी फारूकी जी इसका उत्तर देते हैं
पीता हूँ गम- ए- दुनिया भुलाने के लिए साकी ,
जन्नत मे कौन सा गम है इस लिए वहाँ पीने मे मजा नहीं
इनाम उल हक जावेद साहब जवाब लिखते हैं कि
शराब शराब करते हो फिर पीने से क्यों डरते हो ,
गर खौफ ए खुदा है दिल मे तो फिर जिकर ही क्यों करते हो
इस पर एक बहुत ही मशहूर डॉक्टर साहब लिखते हैं
शराब पर जगह और शायरी की बातें बहुत हुई
मसला ये है की लिवर को कविताएं समझ नहीं आती हैं
मॉरल ऑफ द स्टोरी ये है कि शराब हानिकारक है ।
मस्जिद में मना है
जन्नत में मना है,
तो हम पिएंगे अपने यारों के साथ अपने ही घर में ,
हमारा घर ही शहर का मैंखाना बना है ।।
….Satyam Kumar
You have to read last line
Consider the doctor
Waah waah, Shandaar
Thank you
Right sir
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Wah…!!
Thanks bhai
Very Nice
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